Thursday, February 19, 2015

नर हो न निराश करो मन को

नर हो न निराश करो मन को 
कुछ काम करो कुछ काम करो 
जग में रहकर निज नाम करो 
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो 
समझो जिसमे यह व्यर्थ न हो 
कुछ तो उपयुक्त करो तन का 
नर हो न निराश करो मन को 

सम्हलो की सुयोग न जाये चला

कब व्यर्थ हुआ सदुपयोग भला 
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशश्त करो अपना 
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को 

जब प्राप्त तुम्हे सब तत्त्व यहाँ 

फिर जा सकता वह सत्त्वा कहाँ 
तुम स्वत्वा सुधा रसपान करो 
उठ कर अमरत्त्वा विधान करो 
दवरूप रहो मन कानन को 
नर हो न निराश करो मन को 

निज गौरव का नित ज्ञान रहे 

हम भी हैं कुछ यह ध्यान रहे 
सब जाये अभी पर मान रहे 
मरणोत्तर गुंजित गान रहे 
कुछ हो न तजो निज साधन को 
नर हो न निराश करो मन को 

                                    -मैथली शरण गुप्त 



Friday, January 16, 2015

Be Your Own Light

"atta deep bhav" - these were the last words of Gautam Buddha which means " Be Your Own Light"